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आरती रामचंद्रा

 

आरती रामचंद्रा | स्वामी स्वरुपानंदा |
सोsहं हंसारूढ तुम्ही | सोडवा या भगवंधा || १ ||

यौंवनात राष्ट्रकार्या | सर्वस्वाते समर्पोनी |
सोहं भाव संगीतात | नीत्य राहीला रंगोनी || २ ||

सोहं तेही अस्तवले | विश्व ब्रम्हमय झाले |
भवताप नीवाराया | कृपाछ्त्र उभविले || ३ ||

प्रचलीत मराठीत | बोधामृत कुंभ राशी |
मुक्त हस्ते दान केले | काय वानावी मिराशी || ४ ||

महिमा तो वर्णवेना | शब्द शक्ती ते पुरेना |
मूकभावे नम्रहोता | बाल गोपाळ चरणां || ५ ||